हमें मिसिसिपी जलमार्ग से सीख लेने की आवश्यकता है

शिपिंग को सक्षम बनाने के लिए अमेरिका में 1930 के दशक में मिसिसिपी नदी पर बैराज की एक श्रृंखला बनायीं गयी है हालांकि, उस परियोजना के कई नकारात्मक प्रभाव देखने को मिले हैं और अब यहां तक कहा जा रहा है कि “नदी को अपनी तरह से बहने दिया जाना चाहिए”.

मिसिसिपी नदी पर बराज


 

मिसिसिपी जलमार्ग की तर्ज पर राष्ट्रीय जलमार्ग -1 की योजना बनाई जा रही है. हमें उस अनुभव को सीखना चाहिए जो मिस्सिसिपी से आज अमेरिका को मिल रहा है.

मिसिसिपी नदी के लिए बैराज का पर्यावरण प्रभाव

अमेरिकी सरकार ने कहा है कि

” पर्यावरण और बाढ़ संबंधी समस्याओं को सुलझाने के लिए उचित कदम आवश्यक हैं”
यूएसजीओ के बारे में रिपोर्ट यहां संलग्न है (पृष्ठ 17, पैरा 1-2).

यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कोर्प ऑफ़ इंजिनीयर्स(यूएसएसीई), ने इस बराज को बनाया है. इनकी रिपोर्ट में कहा गया है की नदी की चौड़ाई कम हो गयी है और बाढ़ में वृद्धि हो रही है ”

इसी अध्ययन में बताया है कि इलिनोइस नदी जो मिसिसिपी की सहायक नदी है में बराज के कारण बतख और मछली की आबादी में बहुत तेजी से गिरावट आई है .

मिसिसिपी नदी पर बराज(फोटो साभार: जॉन सी स्टेंनिस, विकिमीडिया)

जॉन टिब्बेट्स (पर्यावरण स्वास्थ्य के दृष्टिकोण) की रिपोर्ट में कहा गया है कि “2050 तक, यदि इस प्रक्रिया को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जाता है तो राज्य 700 वर्ग मील की भूमि खो सकता है और 1930 के तटीय लुइसियाना का एक-तिहाई गायब हो जाएगा. “रिपोर्ट यहां उपलब्ध है (पेज 1, पैरा 3)

जलमार्ग का अर्थशास्त्र

कृषि संस्थान और व्यापार नीति(agricultural institution and business policy) की एक रिपोर्ट का कहना है कि मिसिसिपी जलमार्ग पर बैराजों से माल के परिवहन किफायती सिर्फ इसलिए है कि यहाँ सड़क जैसे टेक्स नहीं आरोपित किये जाते है. यानी सड़क से टेक्स वसूला जाता है जबकि जल मार्ग को सब्सिटी दी जाती है. जल मार्ग की तुलना में सड़क सस्ती पड़ती है.रिपोर्ट यहां संलग्न है.

गंगा पर प्रस्तावित जलमार्ग इसी तरह नुकसानदेह होने की संभावना है. हमारी स्थिति ज्यादा खराब होने की संभावना है. मिसिसिपी जलमार्ग का इस्तेमाल अपस्ट्रीम राज्यों से थोक कृषि निर्यात करने के लिए किया जाता है. गंगा बेसिन में ऐसे निर्यात की थोक वस्तुएं नहीं हैं. गंगा जलमार्ग मुख्यतः आयातित कोयले के परिवहन के लिए उपयोग किया जाएगा यह जलमार्ग को आर्थिक दृष्टि से सफल नहीं कर सकेगा. Reggie McLeod द्वारा रिपोर्ट यहां संलग्न है (पेज 1, पैरा 2)

फिलहाल अभी भारत सरकार ने जलमार्ग के लिए वाराणसी और हल्दिया के बीच बैराज नहीं बनाने का निर्णय लिया है. हालांकि, इलाहाबाद और वाराणसी के बीच बैराज बनाया जा सकता है. जिस प्रकार ड्रेजिंग और बड़े जहाजों के चलने के कारण मिसिसिपी पर असर हुआ है उसी प्रकार भारत में बनने जा रहे जलमार्ग से गंगा पर असर पड़ेगा . हमें गलतियों से सीखना चाहिए और ऐसे रास्ते पर नहीं चलना चाहिए जहाँ हमारे लिए समस्या उत्पन्न हो .

इसलिए हमारा भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध है कि हमें मिसिसिपी से सीखना चाहिए और एनडब्ल्यू -1 हानिप्रद परियोजना को निरस्त करना चाहिए.

 

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