परिवहन एवं जल संसाधन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि आने वाले समय में भारत द्वारा दस हज़ार सी-प्लेन खरीदे जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि वाराणसी की अपनी अगली यात्रा में वे गंगा पर सी-प्लेन से उतारेंगे. पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से बीजेपी सरकार द्वारा लिया गया यह कदम सराहनीय है. वहीँ गुजरात चुनावों के समय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा अहमदाबाद की साबरमती नदी पर सी-प्लेन की यात्रा को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी नें कहा था कि सी-प्लेन को बढ़ावा दिया जाना सिर्फ देश की जनता का ध्यान चुनावी मुद्दों से भटकना है.
आइये सी-प्लेन के विषय में विस्तृत जानकारी लें.
सी-प्लेन| हवाई विमान| असफल| दुर्घटनाएं
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले विश्व के देशों में सी-प्लेन का अत्यधिक प्रयोग होता था किन्तु द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भूमि से उड़ने वाले हवाई विमानों का उपयोग बड़े पैमाने में किया जा रहा है. सी-प्लेन का प्रचलन कम होने के कारण हम नीचे देख सकते हैं:
- सुरक्षित लेंडिंग के लिए सी-प्लेन को शांत जलीय सतह की आवश्यकता होती है. समुद्र या नदी में अक्सर लहरें उठती रहती हैं. पानी में लहरों की वजह से सी-प्लेन की लेंडिंग असुरक्षित हो जाती है. नीचे दिए गए चित्र में हम देख सकते हैं शांत जल होने की स्थिति में ही सी-प्लेन सुरक्षित लेंडिंग कर सकते हैं.
- तेज हवाओं का चलना स्वाभाविक प्रक्रिया है. ये तेज़ हवाएं सी-प्लेन का संतुलन बिगाड़ने में समर्थ होती हैं. अतः सी-प्लेन की अकसर दुर्घटनाएं हवाओं द्वारा इनका संतुलन बिगड़ने से होती हैं.
- भूमि से उड़ने वाले हवाई विमान जमीन पर पहियों द्वारा चलते हैं जबकि सी-प्लेन को पानी में चलने के लिए पोंटून होते हैं. पोंटून और जलीय सतह के बीच अधिक घर्षण होता है जबकि पहियों और भूमि के बीच कम घर्षण होता है. अतः भारी अधिक घर्षण की वजह से सी-प्लेन को चलने के लिए ज्यादा शक्ति की आवश्यकता होती है नतीजतन सी-प्लेन द्वारा अधिक उर्जा की खपत होती है.
- भूमि से उड़ने वाले हवाई विमानों की तुलना में सी-प्लेन अधिक भारी होते हैं क्योंकि इनमे पोंटून का अतिरिक्त वजन भी होता है. संयुक्त राज्य अमेरिका के नेवल सर्फेस सेंटर कार्डरॉक डिवीजन (NSCCD) द्वारा इन दोनों प्रकार के विमानों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि हवाई विमान द्वारा ले जाये गए भार और विमान के भार का अनुपात 0.25 है जबकि सी-प्लेन में यह अनुपात 0.1 है. यह दर्शाता है कि सी प्लेन की तुलना में हवाई विमान की भार उठाने की क्षमता 2.5 गुना अधिक है. इस अनुपात को हम निम्न ग्राफ के माध्यम से देख सकते हैं जहाँ नीले बिन्दुओं के माध्यम से सी-प्लेन और हरे बिन्दुओं के माध्यम से हवाई विमान को दिखाया गया है.
- सी-प्लेन का वजन अधिक होता है इसलिए वे 5000 फीट से नीचे उड़ते ही हैं. अतः वे धरती की सतह पर चलने वाली हवाओं का निरंतर सामना करते रहते है जो कि यात्रा को कठिन बनाती है.
- सी-प्लेन को अधिक रखरखाव की आवश्यकता होती है क्योंकि वे लगातार पानी के संपर्क में रहते हैं. सी-प्लेन के इंजन में जंक लगने का खतरा लगातार बना रहता है. हर उड़ान के बाद सी-प्लेन के इंजन का रखरखाव करना पड़ता है और जल्दी खराबी आने की वजह से बदलना पड़ता है.
सी-प्लेन का वास्तविक उपयोग
सी-प्लेन का इस्तेमाल आज केवल उन ही चुनिंदा जगहों पर किया जा रहा है जहाँ यातायात के बहुत सीमित साधन हैं या फिर केवल पानी से ही यात्रा संभव है.
- उदाहरण के लिए मालदीव में माले द्वीप से दूसरे द्वीप तक एक यात्रा सीपलेन द्वारा आसानी से की जाती है क्योंकि इन द्वीपों के पास पानी मौजूद होता है और हर द्वीप में एयरपोर्ट बनाना संभव नहीं है.
- अगर किसी दूरस्थ घने जंगल में उतरना है जहां पानी मौजूद है तो सी-प्लेन एक अच्छा साधन है क्योंकि इन क्षेत्रों में हवाई अड्डे को बनाना संभव नहीं है.
- सी-प्लेन बचाव मिशन के लिए उपयोगी हैं. यदि एक जहाज डूबता है और यात्रियों समुद्र पर तैर रहे हैं तो सी-प्लेन से उनके पास जाना और उन्हें बचाना आसान हो जाता है.
- सी-प्लेन का उपयोग समुद्री कानून को लागू करने के लिए किया जाता है. जैसे अवैध प्रवासियों या अवैध मछुआरों को गिरफ्तार करने के लिए सी-प्लेन एक अच्छा विकल्प है क्योंकि अवैध लोगों तक जल्दी पहुंच सकता है और पानी में भी उतरा जा सकता है.
उपरोक्त उदाहरणों से जा सकता है कि सी-प्लेन का उपयोग वशेष एवं आकस्मिक परिस्थिति में लाभकारी है किन्तु इनका प्रयोग यात्रा करने और पर्यटन को बढ़ावा देने में असफल है.
इस परिस्थिति में, श्री नितिन गडकरी का प्रस्ताव पूरी तरह से असफल है. मुंबई के कुछ हिस्सों को सी-प्लेन से जोड़ना सफल नहीं होगा क्योंकि मुंबई में हेलीकॉप्टर, रेल या सड़क मार्ग से यात्रा की जा सकती है. इसी प्रकार सी-प्लेन द्वारा गंगा पर वाराणसी में उतरने का विचार भी बेकार है क्योंकि वाराणसी में हवाई अड्डा उपलब्ध है और यातायात के भी भरपूर साधन उपलब्ध हैं. भारत में सी-प्लेन चलाने का उद्देश्य केवल दिखावा है. वास्तव में सरकार लोगों को जोखिम और उच्च लागत में धकेल रही है.