वर्तमान में नरोरा के नीचे गंगा में गंगा नदी का पानी नहीं है. हरिद्वार में भीमगौड़ा बराज से गंगा का लगभग पूरा पानी सिंचाई के लिए निकाल दिया जाता है. भीमगौड़ा बराज के बाद नदी का पानी लगभग सूख जाता है. हम नीचे ऋषिकेश में चिलाबराज के बाद सूखी गंगा की फोटो दे रहे हैं.इसी प्रकार भीमगौडा के नीछे गंगा सुख जाती है.
पानी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किसान सिंचाई के लिए करते हैं. वर्ष 2000 में 89 प्रतिशत पानी किसानों द्वारा, 6 प्रतिशत उद्योगों द्वारा और 5 प्रतिशत घरेलु उपयोग के लिए इस्तेमाल किया गया. गंगा नदी को जीवित रखने के लिए जरूरी है की गंगा से कम पानी निकाला जाए.इसलिए कृषि में पानी के उपयोग को कम करने पर ध्यान देना चाहिए. वर्तमान में किसानों को पानी का न्यूनतम शुल्क देना होता है. किसानो को खेत के क्षेत्रफल के हिसाब से पानी की कीमत देनी होती है. वे पांच बार सिंचाई करे अथवा 20 बार सिंचाई करे, उन्हें मूल्य उतना ही देना होता है. इसलिए किसान पानी का अधिक इस्तेमाल करता है. किसान पानी का इस्तेमाल कम करे इसके लिए जरूरी है की वह जितनी मात्रा में पानी का इस्तेमाल करे उस हिसाब से कीमत वसूलनी चाहिए.
पानी का कम इस्तेमाल हो इसके लिए पानी की कीमत बढ़ानी होगी. पानी की कीमत बढाने से किसानों पर बोझ बढेगा जिसका समाधान कृषि उत्पादों के बाजार मूल्य बढ़ा कर करना होगा.गेंहूँ और धान के वर्तमान में समर्थन मूल्य में पानी की अतिरिक्त कीमत को जोड़ा जा सकता है. इसके बाद किसान पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा. गंगा को जीवित करने का मूल समाधान पानी का मूल्य निर्धारण करना है क्योंकि पानी की कीमत बढ़ जाने से ही पानी की खपत कम होगी. हम मोदी जी निवेदन करते हैं की किसान से पानी का सही दाम वसूला जाय ताकि किसान पानी का कम उपयोग करे. साथ ही साथ किसान को उत्पादों के उच्च दाम दिया जाए.