बिना पानी के गंगा सफाई निरर्थक है

नदी के प्रदूषित होने की मुख्य वजह नदी में बहाव कम होना है . शुद्धता बहाव से आती है जैसे पतीले में रखा पानी एक सप्ताह बाद सड़ने लगता है जबकि फुहारे में नाचता पानी शुद्ध रहता है . यह बात नदियों की निर्मलता पर भी लागू होती है. नदी के पानी की स्वछता उसमे पल रहे प्राकृतिक जीव जन्तुओ से स्थापित होती है. इनमे मछली प्रमुख है. बराज बनाने से मछलियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है. मछलियाँ अपने प्रजनन क्षेत्रों तक नहीं पहुँच पाती है .प्रजनन क्षेत्र पर नहीं पहुँचने से उन्हें अनुपयुक्त स्थानों पर अंडे देने होते हैं जिस से वे कमजोर होती हैं . आज बंगलादेश से आने वाली हिल्सा मछली फरक्का बराज को पार नहीं कर पाती हैं. पहले यह मछली इलाहाबाद तक पायी जाती थी . नरोरा, हरिद्वार तथा ऋषिकेश में बराज बनाने से महासीर की साइज भी छोटी होती जा रही है . ये जीव जंतु ही जल के प्रदुषण को खाकर नदी के जल को निर्मल बनाते हैं . अतः मछलियों से जल की गुणवत्ता को आंका जा सकता है. जिस नदी में मछलियों की श्रेष्ठ जातियां पाई जाती हैं उस नदी को स्वच्छ मानना चाहिए . मछलियाँ जल की गुणवत्ता को दर्शाती है उसी प्रकार जैसे गुलाब के फूल बगीचे के स्वास्थ्य को दर्शाता है . नीचे दी गई फोटो में आप स्पष्ट देख सकते हैं विष्णुप्रयाग में नदी की स्तिथि क्या है.

आप देख सकते हैं की विष्णुप्रयाग परियोजना के नीचे नदी में पानी शून्य है .(फोटो गंगा टुडे टीम)

नदी के सूख जाने से मछलियाँ एवं अन्य जलीय जीव जंतु समाप्त हो जाते हैं. इस से नदी का पानी खराब हो जाता है . इसी वजह से कानपुर , बनारस, पटना और कोलकाता में गंगा का पानी खराब है . ठीक इसी तरह नरोरा बराज से पूरा पानी निकाल दिया जाता है जिस कारण गंगा लगभग सूख जाती है आप नीचे दी गई फोटो में देख सकते हैं . बराज के ऊपर पानी है. नीचे केवल एक छोटी धारा है.

कई पर्यायवर्णीय रिपोर्ट और कोर्ट आदेशो के बावजूद सरकार नदी में पानी की पर्याप्त मात्र छोड़ने पर ध्यान नहीं दे रही है जो की चिंतनीय विषय है . यूपी हाईकोर्ट इलाहाबाद के ने आदेश दिए हैं की उत्तर प्रदेश में गंगा में 50पानी छोड़ना अनिवार्य है. ( देखें आर्डर पैरा “c” पेज 3-4 ). दुसरे, जल संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है की गंगा में ऋषिकेश में औसतन 55 प्रतिशत पानी पर्यावरण के लिये छोड़ना चाहिए (देखें MOWR रिपोर्ट ( पेज 30). इसीप्रकार यमुना नदी पर किये गए एक अध्ययन में कहा गया है की यमुना में पर्यावरण के लिए के लिए 50-60% पानी छोड़ना आवश्यक है .” इन तमाम रिपोर्टों के बावजूद सरकार द्वारा 50पानी नदी में छोड़ने को कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. आज विद्युत परियोजनाओं और सिंचाई के लिए पानी निकाल लेने से गंगा में पानी की मात्रा नामात्र रह गई है जो गंगा के लिए संकट का विषय है . हम नीचे एक गंगा के बहते पानी के फोटो दे रहे हैं जब इस प्रकार गंगा में पर्याप्त पानी होगा तब ही गंगा प्रदुषण मुक्त हो सकती है .

ऋषिकेश में गंगा

सरकार द्वारा प्रदूषण करने वाले होटलों को सील किया जा रहा है और उद्योगों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को कहा जा रहा है जो स्वागत योग्य कदम है परन्तु वर्तमान में गंगा के प्रदूषित होने का कारण उसमे पानी का अभाव है जो की जल विद्युत परियोजना और सिंचाई के लिए पानी पूरी तरह निकाल लिया जाता है और गंगा सूख जाती है . श्री नरेन्द्र मोदी से विनातीपूर्ण आग्रह है की गंगा में 50% पानी छोड़ने की व्यवस्था करें तभी होटलों को सील करने एवं उद्योगों पर नकेल कसने की सार्थकता है बिना ऐसे किये गंगा शुद्ध नहीं हो सकती.