फरक्का बराज| फीडर केनाल| गंगा नदी| गाद| हूगली
गंगा नदी के पानी को हुगली में ले जाने के लिए फरक्का बराज बनाया गया था. बराज से एक फीडर कनाल द्वारा पानी को हुगली नदी में ले जाया जा रहा है. फीडर कनाल का स्तर गंगा के स्तर से 10 मीटर ऊंचा है. गंगा के पानी को फीडर कनाल में डालने के लिए उसका स्तर 10 मीटर ऊंचा करना जरूरी था. बराज से पानी का यह जल स्तर ऊंचा किया गया है. ऐसा करने से बराज में 50 किलोमीटर पीछे तक एक तालाब बन गया है. इस तालाब में पानी का वेग न्यून है जिसके कारण नदी द्वारा लायी गई गाद तालाब में जमा हो रही है.
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फरक्का बराज के कारण गंगा नदी गाद को अपने साथ नहीं बहा पा रही है. बराज के पीछे गाद का जमाव होने के कारण नदी का प्रवाह प्रभावित हो रहा है. नदी दायें बाएं भाग रही है जिससे किनारों पर कटाव बढ़ रहा है. बाढ़ आने पर यह समस्या भयावह हो जाती है.
बीते दिनों इस समस्या को प्राधानमंत्री के सामने रखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार ने फरक्का बराज को हटाने की मांग की है.
फरक्का के ऊपर गंगा में बन रहे बालू के टापु की तस्वीर हम नीचे दे रहे हैं.
ये टापू दर्शाता है कि बालू का जमाव हो रहा है जिसके कारण गंगा दायें-बाएं भाग रही है और जमीन को काट रही है.
फरक्का बराज| फीडर कैनाल| बांग्लादेश| फतेलापुर| अंडरस्लूस| पुल निर्माण| विकल्प
फरक्का के विकल्पों पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है. जैसा ऊपर बताया गया है,बराज के पीछे तालाब और उससे निकलने वाली नहर की सतह गंगा की सतह से 10 मीटर ऊपर है. इस समस्या का उपाय यह हो सकता है की गंगा के पानी को हुगली में फीडर कनाल से डालने की जगह सीधे हुगली में डाला जाय. नीचे दी गई फोटो में आप देख सकते हैं की गंगा के बांग्लादेश में प्रवेश होने से पहले गंगा की एक धारा दक्षिण में बहती है. इस धारा से फतेलापुर के पास हुगली नदी निकलती है. यहाँ पर हुगली का स्तर गंगा के स्तर से केवल 3 मीटर ऊंचा है अतः गंगा के पानी को यदि फतेलापुर में बराज बनाकर हुगली में डाला जाय तो पानी को केवल 3 मीटर ऊपर करना होगा जिससे बहुत छोटा सा ही तालाब बनेगा.
मौजूदा फरक्का बराज के गेट हटाकर इसका उपयोग पुल के रूप में किया जा सकता है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नितीश कुमार से अनुरोध है कि फरक्का बराज के विकल्पों पर नए सिरे से अध्ययन कराएं.