कांग्रेस सांसद श्री जयराम रमेश ने संसद में सही कहा है कि पर्यावरण मंत्री का काम पर्यावरण की रक्षा करना है न कि विकास के प्रोजेक्ट को हरी झंडी देना. लेकिन हमें याद रखना चाहिए की 2009 से 2011 तक इन्ही श्री रमेश ने पर्यावरण मंत्रालय का कार्य संभाला था. उस समय मन्दाकिनी नदी पर बन रहे फाटा-व्युंग और सिंगोली-भटवारी जल विद्युत् परियोजनाओं से प्रभावित लोगों ने इनके पास शिकायत की थी कि परियोजनाओं द्वारा गैर कानूनी ढंग से मक को नदी में डाला जा रहा है. टनल बनाने के कारण पहाड़ी श्रोत सूख रहे हैं, जंगल का कटान बिना स्वीकृति के किये जा रहे हैं. वन पंचायतों द्वारा स्वीकृति लिए बिना वन काटे जा रहे हैं. ग्राम प्रधानों से झूट बोलकर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं इत्यादि. लेकिन उस समय श्री रमेश ने इन शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया था. यह परियोजना 2013 में आयी केदारनाथ आपदा के कारण क्षतिग्रस्त हो गयी थी जैसा कि फोटो में दर्शाया गया है. आज विपक्ष में बैठकर उन्हें चिंतन करना चाहिए कि क्या उनका उस समय का कार्य उचित था. लेकिन यह भी सही है की श्री जयराम रमेश ने भागीरथी पर तीन जल विद्युत परियोजनाओं को बंद कराया था और उसके लिए उन्हें साधुआत.