भारत के शहरों में बाढ़ का कहर बढ़ रहा है. हमने शहरी नदियों के दोनों तरफ खड़ी दीवारें बनाकर उन्हें के चैनल में सीमित कर दिया है जो कि बाढ़ आने का एक प्रमुख कारण है. अहमदाबाद की साबरमती, लखनऊ की गोमती, और मुंबई की मीठी नदियों के किनारे बनाई गयी दीवारों के चित्र नीचे देख सकते हैं.
इन दीवारों के दो प्रभाव सीधे नदी पर पड़ते हैं. पहला प्रभाव यह कि जब नदी में पानी बढ़ता है तो उसे फैलने का अवसर नहीं मिलता है और वह शीघ्र ही बाढ़ का रूप ले लेता है. उसे अगल बगल फैलने का स्थान नहीं मिल पाता है. दूसरा प्रभाव यह कि, इन खड़ी दीवारों के बीच में वनस्पति के उपजने की कोई संभावना नहीं होती. इन वनस्पतियों का नकारात्मक प्रभाव मछलियों पर भी पड़ता है. जब नदी में वनस्पति नहीं होती, तो मछलियाँ भी नहीं होती. अतः पानी मृत हो जाता है.
इसी प्रकार की परिस्थिति पूर्व में लंदन की थेम्स नदी में थी. आप नीचे दिए गए चित्र में देख सकते हैं कि नदी के किनारे कड़ी दीवारें इसी प्रकार से बनी हुई थी.
इंग्लैंड की सरकार नें इन खड़ी दीवारों को हटाया और हटाने के बाद नदी के जलस्तर के नीचे स्टील के खम्बे लगाये (Pilings) जो कि नदी में ऊपर से अदृश्य होते हैं . ये नदी किनारों को स्थिरता प्रदान करते हैं. इसके बाद इन खम्बों के बगल में इन्होने कोयर के रोल लगाए, जिसमें वनस्पतियाँ पनप सकती हैं. यह स्थिति आप नीचे चित्र में देख सकते हैं.
इसके बाद इन्होने नदी के पाट को तिरछा बनाकर (Slope) इसमें भी फाइबर की मैट लगाई ताकि इस क्षेत्र में भी वनस्पतियाँ उपज सकें. ऐसा करने से दो प्रभाव आप देख सकते हैं. पहला यह कि नदी मे कई प्रकार की वनस्पति उगने लगी जैसा कि आप नीचे दिए गए चित्र में देख सकते हैं.
दूसरा प्रभाव यह कि नदी को फैलने का अवसर मिला. जब नदी में बाढ़ आती है तो नदी का पानी फ़ैल जाता है और उसको बहने का अवसर मिल जाता है और वह बाढ़ का रूप विशेष परिस्थिति में ही ग्रहण करता है. हर समय पानी की अधिकता बाढ़ के पानी का रूप नहीं लेती है.
अगला उदाहरण अमेरिका के मिशिगन राज्य में मियोमोनी नदी का है. पहले मियोमोनी नदी के दोनों तरफ कंक्रीट की दीवारें बना दी गयी थी. सरकार नें पाया कि इससे नदी की जीवंतता समाप्त हो गयी थी और उन्होने उन कंक्रीट दीवारों को तोड़ दिया, जैसा कि आप नीचे दिए गए चित्र में देख सकते हैं.
इसके बाद सरकार नें नदी के बीच में कुछ पत्थर इत्यादि रखे, जिससे कि मछलियों को संरक्षण मिल सके. ध्यान दें कि सीधी दीवार और सीधे पाट के बीच में मछलियों का जीवन कठिन होता है क्योंकि उन्हें आराम करने और अंडे देने के लिए सुरक्षित स्थान चाहिए होता है. इसलिए सरकार नें इन दीवारों को हटाकर नदी के बीच बीच में पत्थर रखे हैं, जिससे कि मछलियों को एक संरक्षित स्थान मिल सके. साथ ही किनारों पर वृक्ष आदि लगाये गए. पैदल चलने के मार्ग बनाये जिससे कि लोग पिकनिक आदि के लिए आ सकें और उस शहर की कुल गुणवत्ता में सुधार हो. सरकार नें पाया कि नदी के पाट को चौड़ा करने के लिए कुछ मकानों को हटाना पड़ेगा. अतः सरकार नें इस क्षेत्र में 80 मकानो को हटाकर मकान मालिकों को उचित मुआवजा दिया, जिससे कि नदी का क्षेत्र बढ़ाया जा सके. (रिपोर्ट नीचे देखें)
हमें मियोमोनी नदी से सीख लेकर साबरमती, गोमती, और मीठी नदियों के किनारे बनी हुई खड़ी दीवारों को हटाकर इनके किनारे बने हुए मकान हटा देना चाहिए. यदि हमें भारत के शहरों को 21वीं सदी के विकसित देशों की तरह बनाना है तो नदियों को खड़ी दीवारों से मुक्त करके उन्हें वनस्पतियों, मछलियों और तिरछे ढाल वाले किनारों (Sloppy) में परिवर्तित करना होगा जिससे कि शहर की गुणवत्ता मूल रूप से सुधर सके. हमारे देश के शहरों में बाढ़ आने का एक प्रमुख कारण नदियों को खड़ी दीवारों के बीच बांधना है.