ढुलाई के लिए गंगा की दुर्गति

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नए मल्टीमोडल प्रोजेक्ट की आधारशिला झारखण्ड में रखी गयी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 6 अप्रैल को झारखंड में गंगा नदी पर मंगलम टर्मिनल परियोजना की नींव रखी गई है. यह टर्मिनल राष्ट्रीय जलमार्ग -1 परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य धुलाई के लिए गंगा पर बड़े जहाजों को चलाना है. नदी के बड़े हिस्सों में पानी की गहराई कम है क्योंकि नदी में पानी की मात्रा कम है. नदी पर बड़े जहाजों को चलाने के लिए पानी की गहराई बढ़ानी आवश्यक है. गहरा चैनल बनाने के लिए नदी के बीच से रेत को ड्रेजिंग करके किनारे पर हटा दिया जाता है. ड्रेजिंग से बने गयी इस चैनल में पानी की गति बढ़ जाती है. इससे कटाव होता है.
फराक्का में गंगा को ड्रेजिंग करने के कारण कटाव :फोटो गंगा टूडे टीम

इस देश में रहने वाले बहुत से लोग इस कटाव के कारण अपनी जगह बदलने पर मजबूर हुए हैं और अब अस्थायी आवासों पर रह रहे हैं. जैसा नीचे देखा जा सकता है..

तटबंधों पर रहने वाले विस्थापित लोगों के अस्थायी आवास

ड्रेजिंग मछलियों और जलीय जीव जंतुओ के जीवन को भी प्रभावित करती है. जलीय जीवजन्तु अपने भोजन के लिए नदी में बढ़ रहे पानी के नीचे के पौधों पर निर्भर करते हैं. ड्रेजिंग इन पौधों को नष्ट कर देता हैऔर मछलियों अपने भोजन से वंचित हो जाती हैं. मछलियाँ कमजोर हो जाती है और नदी की सफाई के कार्य को नहीं कर पाती हैं. हम नीचे फरक्का बैराज के गंगा नदी के दाहिने किनारे के फोटो दे रहे हैं. आप यहाँ उगे जलकुंभी को उगते देख सकते हैं जलकुंभी अन्य पानी के नीचे के पौधे को मारता है जो मछलियों के भोजन होते हैं.

Hycacinthgrowin upstream of Farakka :photo by GangaToday Team

 नदी पर परिवहन से नदी में चलने वाले जहाजों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्सर्जित होगी. यह जहरीली गैस नदी के पानी में मिल जाएगी. जहाजों से नदी में लुब्रिकेंट तेल का रिसाव होगा. ये नदी के पानी को प्रदूषित करेंगे. भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने इस परियोजना को लागू करने के लिए विश्व बैंक से संपर्क किया है. हमने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और विश्व बैंक के ध्यान में इस परियोजना के इन नकारात्मक प्रभावों को लाने का प्रयास किया है. हमारे आवेदन की प्रति यहां उपलब्ध हैं. गंगा को साफ करने की कोशिश करने के लिए हम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देते हैं. यदि गंगा पर ड्रेजिंग किया जाता है और उसे राष्ट्रीय जलमार्ग में परिवर्तित किया जाता है तो गंगा को साफ़ करने वाले प्रयास बर्बाद हो जायेंगे.

हम श्री नरेन्द्र मोदी जी को इस परियोजना पर पुनर्विचार करने के लिए आग्रह करते हैं ताकि ड्रेजिंग नहीं किया जाए और गंगा की मछलियों और पानी के नीचे के पौधों को बचाया जा सके.