चीन में भारी संख्या में जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण हुआ है. साथ साथ चीन आर्थिक विकास में हमसे आगे निकल गया है. इसलिए चीन का अनुसरण करते हुए हम भी बड़ी जलविद्युत परियोजनाएं बना रहे हैं.
थ्री गोर्गेस बाँध के प्रभाव
चीन का सबसे बड़ा थ्री गोर्जेस बाँध है जो कि यांग्से नदी के ऊपर बनाया गया है. इस बाँध से वर्ष 2009 में उत्पादन शुरू कर दिया गया था. लेकिन अब इस बाँध के तमाम दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं जो कि निम्न प्रकार हैं:
- चीनी अकादमी ऑफ इंजीनियरिंग ने रिपोर्ट दी है कि सितंबर 2006 में जलाशयों के स्तर के बढ़ने के बाद के सात महीनों में इस क्षेत्र में 822 भूकंपीय झटके आये है. (रिपोर्ट नीचे देखें)
- चीन के भूगर्भीय अन्वेषण और खनिज संसाधन ब्यूरो के वैज्ञानिक कहते हैं कि बांध का निर्माण शुरू होने के नौ वर्ष बाद लगभग 700 मिलियन क्यूबिक फीट की चट्टान क्विंगगन नदी (जहाँ से तीन किलोमीटर दूरी पर यांग्से नदी बहती है) में फिसल गई और 65 फुट की लहरें उठी जिसमे 14 लोगों की जान गयी.(रिपोर्ट नीचे देखें).
- मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी और चीनी एकेडमी ऑफ साइंसेज के प्रोफेसर कहते हैं कि थ्री गोर्गेस बांध ने 400 से अधिक प्रजातियों को नुक्सान पहुँचाया है, तथा मौसमी पैटर्न में बदलाव हुआ है. चीनी के डव वृक्ष और डौन रेडवुड सहित कम से कम 57 पौधों की प्रजातियां खतरे में पड़ गई है. (रिपोर्ट नीचे देखें).
- चीन के वुहान विश्वविद्यालय के अनुसार बांध के नीचे बाढ़ कम हो जाती है और यांग्से नदी के पानी का स्तर भी कम हो गया है, जिससे मछलियों का जीवित रहना मुश्किल हो गया है. इस परियोजना के कारण दुर्लभ “बाजी डॉल्फिन” की संख्या में गिरावट आई है.(रिपोर्ट नीचे देखें).
- चाइना डेली (चीन की सबसे बड़ी अंग्रेजी भाषा का अख़बार) ने बताया कि यांग्त्ज़ी नदी 142 वर्षों में अपने निम्नतम जलस्तर तक पहुंच गयी है. यांग्त्ज़ी नदी जल संसाधन आयोग के एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि बांध ने नदी की प्रवाह मात्रा को 50 प्रतिशत कम कर दिया है.(रिपोर्ट नीचे देखें).
थ्री गॉर्गेस जैसे बड़े बांधों ने देश को बिजली और सिंचाई प्रदान की है, लेकिन यदि हम इन नकारात्मक प्रभावों पर विचार करें तो अल्प अवधि में प्राप्त लाभ की तुलना में दीर्घ अवधि में हानिकारक प्रभाव अधिक हो सकते हैं.
चीनी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
चाइना एकेडमी ऑफ एनवायरनमेंटल प्लानिंग के एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि “2012 में वनों, वेटलैंड्स और घास के मैदानों द्वारा पर्यावरणीय क्षति में चीन की जीडीपी 3.5 प्रतिशत कम हो गयी है.’’ थ्री गोर्गेस बाँध को आर्थिक विकास के लिए बनाया गया था, लेकिन अब दिख रहा है कि यह बाँध आर्थिक विकास की दृष्टि से हानिकारक हो सकता है. इसी प्रकार चीन ने हर तरफ पर्यावरण की अनदेखी की है.
विश्व बैंक नें कहा है कि “चीन में प्रदूषण की समस्या अर्थव्यवस्था को गिरा रही है और यह चीन और दुनिया के लिए खतरनाक जहर बना हुआ है. चीन यदि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, तो भविष्य में स्वास्थ्य और समृद्धि को सुरक्षित करने में वह असमर्थ होगा.” (सम्बंधित रिपोर्ट नीचे देखें)
अमरीका के हवाई राज्य स्थिति पूर्व-पश्चिम केंद्र के अनुसार “वर्ष 1992 में चीन के पर्यावरणीय प्रदूषण का आर्थिक बोझ, सकल घरेलू उत्पाद के 15 प्रतिशत के बराबर हो सकती है” (सम्बंधित रिपोर्ट नीचे देखें).
चीन का अनुसरण
इन अध्ययनों से पता लगता है कि चीन के थ्री गोर्गेस जैसे बड़े बांधों द्वारा यद्यपि तात्काल बिजली तथा सिंचाई जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं लेकिन यह टिकाऊ नहीं है. दीर्धकाल में होने वाले दुष्प्रभावों को यदि संज्ञान में लिया जाय तो यह प्रोजेक्ट नुकसानदेह भी हो सकते हैं. अतः भारत सरकार को चाहिए कि चीन का अन्धानुकरण करने के स्थान पर पंचेश्वर, भाखड़ा नांगल और टिहरी जैसे बड़े बांधों का गंभीर अध्ययन कराये और इनके दुष्प्रभावों की गणना करें, उनका आर्थिक मूल्यांकन करें, तत्पश्चात कोई निर्णय ले कि इस प्रकार के बड़े बाँध बनने चाहिए या नहीं.