गुजरात में चुनाव का दौर चल रहा हैं और आरोप प्रत्यारोपों का दौर जारी है. गुजरात में मेगा रैलियों का मेगा शो चल रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी भी गुजरात में प्रचार कर रहे है तो साथ ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी गुजरात दौरे पर हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान मंदिरों के ताबड़तोड़ दौरों का क्रम जारी रखते हुए भगवान शिव के द्वाद्वश ज्योतिर्लिंगों में से पहले सोमेश्वर महादेव के यहां समुद्र तट पर स्थित भव्य सोमनाथ मंदिर का दर्शन किया. पिछले 25 सितंबर को अपने चुनावी अभियान की शुरूआत द्वारका के जगत मंदिर से करने वाले राहुल अब तक चोटिला चामुंडामाता मंदिर, कागवड के खोडलधाम, अंबाजी, बहुचरमाता मंदिर, गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर समेत 20 से अधिक मंदिरों के दौरे कर चुके हैं. इसे लेकर बीजेपी तंज करती रही है. पीएम ने कहा कि राहुल गांधी के परनाना या फिर उनके पिता के नाना ने सोमनाथ मंदिर नहीं बनवाया है और राहुल गांधी को सोमनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में पता नहीं है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज सोमनाथ का पताका पूरे विश्व में फहर रहा है. आज जिन लोगों को सोमनाथ याद आ रहे हैं, इनसे एक बार पूछिए कि तुम्हें इतिहास पता है? तुम्हारे परनाना, तुम्हारे पिता जी के नाना, तुम्हारी दादी मां के पिता जी, जो इस देश के पहले प्रधानमंत्री थे. जब सरदार पटेल सोमनाथ का उद्धार करा रहे थे तब उनकी भौहें तन गईं थीं.’ इतना ही नहीं भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेद्र प्रसाद को सरदार बल्लभभाई पटेल ने उद्घाटन के समय सोमनाथ आने का न्योता दिया. तब तुम्हारे परनाना पंडित जवाहर लाल नेहरू ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को पत्र लिखकर सोमनाथ के कार्यक्रम में जाने पर नाराजगी व्यक्त की थी.’ आपको बता दें कि सोमनाथ में ज्योतिर्लिंग है और हिंदू धर्म में इस मंदिर की बड़ी मान्यता है. लेकिन राहुल गांधी के सोमनाथ में जाते ही सोमनाथ के इतिहास नें भी इस चुनावी माहौल में एंट्री ले ली. लेकिन इतिहास समय सापेक्ष होता है. नेहरू जी ने जो कहा और किया वो उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए लिया गया फैसला हो सकता है.
विषय यह है की आज राहुल गांधी शिव को कितना मानते हैं और सोमनाथ मंदिर या अन्य मंदिरों के प्रति कितने आस्थावान हैं. क्योंकि अगर हम देखें तो 1917 में मदन मोहन मालवीय जी नें अंग्रोजों के विरोध में आन्दोलन किया था जिसमें अंग्रेजों के साथ एक अनुबंध हुआ था जिसमे स्पष्ट लिखा था की गंगा पर कोई अवरोध पैदा नहीं किया जाएगा और बिना हिन्दुओ से विचार विमर्श के कोई परियोजना नहीं बनाई जायेगी.(इससे सम्बंधित पिछला पोस्ट यहाँ पढ़ें) लेकिन इसके बावजूद गंगा पर कई बड़ी परियोजनाए बनाई गई और गंगा के अविरल प्रवाह को बाधित किया गया और लगातार किया जा रहा है. 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने भागीरथी पर निर्माणाधीन तीन परियोजनाओं को देश की जनता की गंगा के प्रति अस्मिता और श्रधा को देखते हुए निरस्त कर दिया था लेकिन भाजपा सरकार नें 2013 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद पीपलकोटी की परियोजना को चालु भी किया और उसको पुरजोर बढ़ा रही है और उसके ऊपर कोई चर्चा करने को तैयार नहीं हैं. इसलिए आज हमको इस सोमनाथ के प्रकरण से हमको चिंतन यह करना चाहिए की आज हम क्या कर रहे हैं पुरानी बातों को ध्यान रखने से कोई फायदा नहीं है.
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