गंगा संरक्षण के लिए सानंद स्वामी जी का अनशन

आई.आई.टी. कानपूर के पूर्व प्रोफेसर जी.डी.अग्रवाल सन्यास लेने के बाद सानंद स्वामी के नाम से जाने जाते हैं. सानंद स्वामी जी ने आज से पूर्व पांच बार गंगा की अविरलता स्थापित करने तथा हाइड्रोपावर हटाने के लिए अनशन किया था. अब 22 जून 2018 से पूर्व अनशन पर बैठे हुए हैं. मंगलवार १० जुलाई को साकार ने उन्हें उठा कर अस्पताल में जबरन भरती करा दिया है.

स्वामी जी ने गंगा को पुनर्जीवित करने के लिए 3 बिंदु बताये हैं.

जल विद्युत:

विष्णुगाड-पीपलकोटी निर्माणाधीन परियोजना

स्वामी जी की मांग है कि अलकनंदा पर निर्माणाधीन विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना तथा मन्दाकिनी पर निर्माणाधीन सिंगोली-भटवाडी जल विद्युत परियोजना को तत्काल बंद किया जाये जिससे कि गंगा के इन हिस्सों में अविरलता बनी रहे. स्वामी जी का मानना है कि गंगाजल की अध्यात्मिक शक्ति हाइड्रोपावर टरबाईनो में डालने से नष्ट हो जाती है. इसलिए गंगा की अविरलता को बनाये रखना जरूरी है.

स्वामी जी का कहना है कि वर्तमान में वे इन दोनों निर्माणाधीन परियोजनाओं को बंद करने के लिए अनशन कर रहें हैं. आगे चलकर गंगा में जो परियोजनायें बन चुकी हैं,उन्हें हटाने की बात करनी चाहिए. इसकी शुरुआत अलकनंदा पर श्रीनगर में बनी जल विद्युत परियोजना को हटाने से की जानी चाहिए.

सिंचाई:

गंगा के जल का इस्तेमाल कम जल खपत वाली फसलों के लिए होना चाहिए

गंगा एवं यमुना की एक प्रमुख समस्या है कि इनका लगभग पूरा पानी हरिद्वार तथा हथनीकुंड में सिंचाई के लिए निकाल लिया जाता हैऔर ये नदियाँ इन बैराजों के नीचे सूख जाती हैं. स्वामी जी का कहना है कि इस समस्या का कारण यह है कि इन क्षेत्रों में अधिक पानी की खपत करने वाली फसलें जैसे गन्ने का उत्पादन किया जा  रहा है. गन्ने के उत्पादन में 15 से 20 बार सिंचाई करनी पड़ती है और इसके लिए पानी की अधिक मात्रा में जरूरत पड़ती है. अतः गंगा और यमुना को जीवित करने के लिए सिंचाई की मांग को कम करना होगा जिससे कि इन नदियों का पानी कम निकाला जाये और इनमें आधा पानी बहने दिया जाये. इस कार्य के लिए वर्तमान में सिंचाई के लिए उपलप्ध कराये जा रहे पानी में हर वर्ष 10 प्रतिशत की कटौती कर दी जाये. जिससे कि किसानो को पानी धीरे धीरे कम मिलेगा और वह गन्ने की स्थान पर दूसरी कम सिंचाई वाली फसलें जैसे गेहूं का उत्पादन करने लगेंगे. इस प्रकार गंगा से पानी निकालना कम हो सकेगा और गंगा पुनः जीवित हो जायेगी.

गन्ने की खेती कम करने से चीनी का दाम बाजार में बढेगा. हमें अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए इस महंगायी को बर्दाश्त करना होगा. बिजली का उत्तम विकल्प सौर उर्जा उपलब्ध है.

अंतर्देशीय जलमार्ग:

वाराणसी में निर्माणाधीन अंतर्देशीय जलमार्ग 1

स्वामी जी का मानना है कि गंगा जी का उपयोग माल की ढुलाई के लिए नहीं करना चाहिए. उनकी दृष्टी में यह उसी प्रकार है जैसे माँ के सर के ऊपर बोझ रखकर उसको खच्चर की तरह उपयोग किया जाये.

स्वामी जी के इन विषयों पर विचारों को आप यहाँ यू ट्यूब पर देख सकते हैं.