गंगा महासभा के श्री डी पी तिवारी जी नें प्रयागराज में कुंभ के दौरान नदियों के पानी की गुणवत्ता पर लगातार नजर बनाये रखी. उनका कहना है कि जल की स्थिति में सुधार आवश्य हुआ है हालांकि ज्यादातर सुधार टिहरी बांध से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण हुआ है.
झूसी क्षेत्र में 14 सीवेज नालियां गंगाजी में गिर रही हैं. कुछ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों द्वारा इनका उपचार करने के प्रयास किये गए हैं. इनमे से एक बहुप्रचलित तकनीक जियो-सिंथेटिक ट्यूब की है जिसे हम नीचे चित्र 1 में देख सकते हैं.
जियो-सिंथेटिक ट्यूब द्वारा ट्रीटमेंट के बाद छोड़े गए पानी को चित्र 2 में देख सकते हैं.
चित्र 2 में आप देख सकते हैं की जियो-सिंथेटिक ट्यूब तकनीक से ट्रीटेड पानी नीचे बह कर गंदे पानी में ही मिल रहा है. ट्रीटेड पानी की तुलना में गंदे पानी की मात्रा बहुत अधिक है.
इसी प्रकार, कुंभ के दौरान सलोरी ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले उपचारित पानी को नीचे चित्र 3 में देख सकते हैं.
राजापुर ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले ट्रीटेड पानी को नीचे इमेज 4 में दिखाया गया है.
नीचे चित्र 5 में हम देख सकते हैं कि राजापुर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से पानी में अभी भी बहुत अधिक झाग आ रहा है जो अपर्याप्त ट्रीटमेंट को दर्शाता करता है.
वर्तमान में लगाये गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की क्षमता आवश्यकता से बहुत कम है. यदि आवश्यकता 100 मिलियन लीटर क्षमता की है तो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों की क्षमता केवल 16 मिलियन लीटर प्रति दिन ही है. अतः अधिकाँश पानी अनुपचारित ही रह जाता है.
इस प्रकार पानी का ट्रीटमेंट दो कारणों से रह जाता है. पहला यह कि जो तकनीकें अपनाई गई हैं वे पूर्णत सीवेज ट्रीटमेंट नहीं करते हैं. दूसरा यह कि ये अस्थायी हैं. इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटो को चलाने का अनुबंध भी केवल अप्रैल तक ही दिया गया है. अतः वे प्रयागराज की दीर्घकालिक समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं.
निष्कर्ष है कि जहां पानी की गुणवत्ता में कुछ सुधार हुआ है, यह सुधार मुख्यतः टिहरी से पानी छोड़े जाने और गंगा में अधिक पानी होने के कारण हुआ है.