कासगंज में तालाबों को खोदने का काम सरकार ने मनरेगा के अंतर्गत लिया है जिसका पूरी तरह स्वागत करना चाहिए. कासगंज की ‘बूढी गंगा’ नदी को पुनर्जीवित करने के लिए लोग नदी तल की सफाई कर रहे हैं जैसा कि फोटो में दिखाया गया है. अपने देश में वर्षा पर्याप्त है, लेकिन अधिकतर वर्षा मानसून के समय होती है. वह पानी सीधे समुद्र में चला जाता है क्यूंकि हमने उसे भूगर्भीय एक्विफरों में डालने की व्यवस्था नहीं बना राखी है. तालाबों को साफ़ करने से उसमे बरसात का पानी रुकेगा और वह नीचे रिस करके भूगर्भीय एक्विफरों में जाएगा जहां से बाद में उसे निकालकर सिंचाई और पीने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है. लेकिन नदियों की खुदाई का प्रारूप अलग है, खुदाई से उस क्षेत्र का पानी शीघ्र अति शीघ्र मुख्य नदी में पहुँच जाएगा. यानी नदी उस क्षेत्र से पानी बाहर ले जाने का काम करती है जबकि तालाब उस क्षेत्र के पानी के संरक्षण का काम करता है, अतः तालाबों पर ज्यादा जोर होना चाहिए.
टिपण्णी:
इसी तर्ज पर देश की सभी नदियों के कैचमेंट में भूगर्भीय पानी के पुनर्भरण के कार्य तत्काल हाथ में लेने चाहिए.