गंगा में कछुवे| जलमार्ग| मल्टी–मोडल टर्मिनल| वाराणसी| कछुवा सेंचुरी
कछुवे नदी के कूड़े को खाकर नदी को स्वच्छ बनाने में मददगार साबित होते हैं. जलमार्ग परियोजना से गंगा नदी को साफ़ करने वाले इन कछुवों का अस्तित्व ही अब खतरे में है. जलमार्ग परियोजना के अंतर्गत वाराणसी में मल्टी-मोडल टर्मिनल बनाया जा रहा है. राजघाट के पास मालवीय पुल से लेकर अस्सी घाट के सामने रामनगर तक के 7 किलोमीटर के दायरे को नेशनल वाइल्ड लाइफ कछुवा सेंचुरी के नाम से सरंक्षित किया गया है. बनाए जा रहे टर्मिनल से कछुवा सेंचुरी मात्र 1.9 किलोमीटर दूर स्थित है.
वाराणसी के मणिकर्णिका घाट की मान्यता है कि जिन लोगों का शवदाह यहाँ पर होता है वे सीधे मोक्ष को प्राप्त होते हैं. लेकिन मणिकर्णिका घाट व् अन्य घाटों पर कुछ अधजले शव गंगा में बहा दिए जाते हैं. मिर्जापुर की तरफ से भी पशुओं और मनुष्यों के शव गंगा लेकर आती है जो वाराणसी में मिलते हैं. वाराणसी में कछुआ सेंचुरी के कछुवे इन अधजले शवों को खाकर गंगा को साफ़ रखते हैं. लेकिन वाराणसी में अंतर्देशीय जलमार्ग बनने से कछुओं के जीवन मर संकट आ चुका है.
IWAI| जलमार्ग से दुष्प्रभाव| प्रदूषण| कछुओं का नुक्सान| पानी की गुणवत्ता
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने टर्मिनल के पर्यावरण के प्रभावों पर एक रिपोर्ट बनायी है. (आईडब्ल्यूएआई की रिपोर्ट यहाँ उपलब्ध है}. इस रिपोर्ट में कछुवों पर पड़ने वाले मूल दुष्प्रभावों को छिपाया गया है. रिपोर्ट में सिर्फ यह कहा गया है की अगर कछुवे साईट पर आते हैं तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा. ऐसा कहना समस्या की अनदेखी करना है. जब जहाज चलेंगे तो कछुओं को उनके शोर, प्रदुषण, आदि से नुक्सान होगा ही. साथ ही रिपोर्ट में कई बातों को नजरअंदाज किया गया है जो बिन्दुवार निम्न है:
१ – टर्मिनल से कछुवों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों पर कहा गया है:
रिपोर्ट के अनुसार कछुए देखे गए तो उन्हें नुक्सान नहीं किया जायेगा. यदि बिना देखे कछुए समाप्त हो जाते हैं तो परियोजना को कोई मुश्किल नहीं है. कछुओं पर प्रभाव उनके रहने के स्थान के पास शोर आदि से होता है. इस पर रिपोर्ट मौन है .
२ – प्रोजेक्ट में पानी की गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभावों को नहीं बताया गया है सिर्फ वर्तमान स्थिति बताई गई है (पैरा 1.7).
३ – प्रोजेक्ट से मछलियों पर भी प्रभाव पडेगा लेकिन इस बात पर भी रिपोर्ट में कुछ नहीं बताया गया है. सिर्फ मछली मारने पर रोक लगाने की बात रिपोर्ट में दर्शाई गई है (पेज 24 पैरा 11).
४ –रिपोर्ट मानती है की प्रोजेक्ट से धूल बढ़ेगी लेकिन इस से जीव-जन्तुओ और पक्षियों पर पड़ने वाले दुस्प्रभावो को नहीं बताया गया है (पेज 17).
हम EIA की रिपोर्ट सलंग्न कर रहे है आप स्वय देखें EIA रिपोर्ट वाराणसी टर्मिनल
गंगा की सफाई| कछुवा सेंचुरी| कछुओं को संरक्षण| पर्यायवर्णीय स्वीकृति
कछुवे पानी में मौजूद कूड़े को खाकर नदी को साफ़ करते हैं. इसी उद्देश्य से कछुवा सेंचुरी में कछुवों को सरंक्षण प्राप्त है लेकिन सरकार की इस योजना के चलते कछुवों के जीवन पर संकट मंडराने लगा है. परिवहन के लिए सरकार के पास विकल्प खुले है सरकार रेल परिवहन को बढ़ावा दे सकती है .
वाराणसी टर्मिनल पर्यायवर्णीय स्वीकृति लिए बिना बनाया जा रहा रहा है जिसके खिलाफ हमने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में वाद दायर किया है. वाद की प्रति यहाँ है.
हालांकि वर्तमान सरकार नें निर्णय लिया है कि कछुआ अभायारन्य को वाराणसी से हटाकर वाराणसी और प्रयागराज के बीच में स्थापित किया जाएगा. यह एक अच्छा निर्णय होगा कि कछुआ सेंचुरी को ऊपर के स्थान पर स्थानांतरित करके कछुओं का संरक्षण हो पायेगा. लेकिन गंगा में गिरने वाले अधजले शवों की समस्या बरकरार रहेगी जिन्हें कछुवे खाकर नष्ट कर देते थे. अतः इन कछुओं की जरुरत हमें वाराणसी के नीचे है न कि वाराणसी के ऊपर. लेकिन इसे वाराणसी से नीचे की तरफ ले जाया जाता तो फिर से जहाज़ों के चलने की समस्या उत्पन्न होती. अतः यह निर्णय गंगा के संरक्षण के बिलकुल विरुद्ध है जिसके लिए सरकार को पुन: विचार करने की आवश्यकता है.