THDC बना रहा है वर्ल्ड बैंक को बेवक़ूफ़

बद्रीनाथ| अलकनंदा| THDC| विष्णुगाड| पीपलकोटी| विश्व बैंक

बद्रीनाथ से बहने वाली अलकनंदा नदी पर वर्तमान में THDC द्वारा विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना के लिए THDC नें विश्व बैंक से लोन लिया हुआ है.

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार यह प्रोजेक्ट दिसंबर 2020 में पूरा हो जायेगा, लेकिन THDC की अपनी रिपोर्ट के अनुसार यह प्रोजेक्ट दिसंबर 2022 के पूरा होगा. यह दोनों रिपोर्टें जून 2019 की हैं.

अर्थात, जून 2019 में विश्व बैंक कहता है कि प्रोजेक्ट दिसंबर 2020 में पूरा होगा, जबकि THDC स्वयं कहती है कि प्रोजेक्ट दिसंबर 2022 में पूरा होगा. हम निम्न फोटो में पीपलकोटी की बैराज साईट की फोटो देख सकते हैं जहाँ पर अभी खुदाई भी पूरी नहीं हुई है, निर्माण कार्य तो दूर की बात है.

विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना की बराज साईट का निर्माणकार्य

अगर आगे देखें तो जल विद्युत परियोजनाओं में एक हेड-रेस टनल होती है. इस टनल के माध्यम से नदी से पानी को पावर हाउस तक लाया जाता है. विश्व बैंक का खेल हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं-

विश्व बैंक| THDC| पॉवर हाउस| टनल| ओवर-रन| विदेशी संस्था

विश्व बैंक नें बताया कि 1 जनवरी 2019 को इस टनल का 17 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया था. 17 जून 2019 को यह कार्य 20 प्रतिशत पूरा हो गया था और 30 जून को यह कार्य 100 प्रतिशत पूरा हो जाएगा. अर्थ यह हुआ कि 1 जनवरी 2019 से 17 जून 2019 तक केवल 3 प्रतिशत कार्य हुआ लेकिन 17 जून 2019 से 30 जून 2019 तक तेरह दिन में शेष 80 प्रतिशत कार्य THDC पूरा कर देगी. यह कथन स्वयं विश्व बैंक की रिपोर्ट में लिखा गया है जो कि संभव नहीं है (रिपोर्ट यहाँ देखें).

अब इसी तरह इनके पॉवर हाउस के निर्माणकार्य का चित्र नीचे देख सकते हैं:

विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना की टनल का निर्माणकार्य

यह चित्र सितम्बर 2019 में लिया गया है जिसमे हम देख सकते हैं कि अभी खुदाई जारी है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी 2019 में इस टनल का 22 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया था. 17 जून 2019 को यह 24 प्रतिशत पूरा हो गया था और 30 जून को 100 प्रतिशत पूरा हो जाएगा. अर्थ यह हुआ कि 1 जनवरी  से 17 जून 2019 तक के साढ़े पांच महीनो में केवल 2 प्रतिशत कार्य हुआ लेकिन 17 जून 2019 से 30 जून 2019 तक तेरह दिन में शेष 76 प्रतिशत कार्य THDC पूरा कर देगी, ऐसा कहकर विश्व बैंक नें अपने शीर्ष अधिकारियों को संतुष्ट कर दिया है कि इस प्रोजेक्ट में सब ठीक-ठाक चल रहा है (रिपोर्ट यहाँ देखें).

आर्थिक दृष्टि से भी THDC व् विश्व बैंक कह रही अलग बातें

इस प्रोजेक्ट की आर्थिक हालत भी इसी प्रकार की है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट में कोई ओवर रन नहीं है, यानि जो इसकी अनुमानित लागत थी उसी पर यह परियोजना बन जायेगी.

लेकिन THDC अपनी रिपोर्ट में कहती है कि इस परियोजना की लागत पूर्व में 2491 करोड़ से बढ़कर वर्तमान में 4397 करोड़ हो गयी है. यानि विश्व बैंक पूरी तरह स्वयं झूठ बोल रहा है या THDC नें विश्व बैंक को सूचना दी है जिसके ऊपर विश्व बैंक नें अपनी बुद्धि नहीं लगाई है. यह विषय महत्वपूर्ण इसलिए है कि हमारी सरकार विश्व बैंक जैसी विदेशी संस्थाओं से ऋण लेकर कार्य करना चाहती है और इन संस्थाओं को और अपने देश की जनता दोनों को गुमराह कर के रखती है. इस प्रकार की योजनाओं का कार्यान्वयन ठीक से नहीं हो रहा है और सरकार को चाहिए कि इस प्रकार की परियोजनाओं को बंद कर दे जिससे देश की नदियाँ भी सुरक्षित हों और देश का धन भी व्यर्थ न जाए.