बिहार बाढ़| बाढ़| गंगा नदी| बिहार के मुख्यमंत्री| नीतीश कुमार| फरक्का बैराज| गाद|
गंगा नदी द्वारा लाई गई बाढ़ का बिहार और बंगाल सामना कर रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई अन्य लोगों का मानना है कि यह समस्या फ़रक्का बैराज की वजह से है. फरक्का बैराज से गंगा का प्रवाह बाधित होता है जिसके कारण बैराज के पीछे गाद जमा होने लगती है. गाद का मतलब होता है, रेत या कोई अन्य पदार्थ जैसे मिट्टी आदि की मात्रा जो नदी के पेटे में जमा हो जाती है. जमा गाद से गंगा नदी की गहराई कम होती जा रही है. इससे गंगा के द्वारा अपने पानी को समुद्र की ओर ले जाना मुश्किल हो जाता है जिससे बाढ़ की संभावना बढ़जाती है.
बिहार सरकार| राजीव सिन्हा| आईआईटी कानपुर| बक्सर| पटना| गांधीघाट|
बिहार सरकार द्वारा आईआईटी कानपुर के डॉ राजीव सिन्हा को गंगा में जमा हो रही गाद का अध्ययन करने का कार्य दिया था. डॉ सिन्हा ने पाया कि बक्सर से पटना तक गंगा का क्षेत्र गाद से भरा है. इसमें और अधिक गाद को ग्रहण करने की क्षमता नहीं है. गंगा का यह क्षेत्र बालू से भरी बाल्टी की तरह है जिसमे यदि हम बालू युक्त पानी डालते हैं, तो वह बालू और पानी दोनों को ग्रहण नहीं कर पाती है. बालू रेत ग्रहण करने के लिए बाल्टी में और ज्यादा जगह नहीं होती है. ठीक इसी प्रकार बक्सर से पटना (गांधीघाट) तक का क्षेत्र गाद से भरा हुआ है. इसलिए अब घाघरा या गंगा द्वारा जो भी गाद लाई जाती है, वह आगे बह जाती है. रिपोर्ट यहाँ देखें :
डॉ सिन्हा कहते हैं कि भागलपुर में भारी मात्रा में गाद जमा हो रही है. उनका कहना है कि गाद जमा हो रही है लेकिन बैराज के पीछे बने लगभग 80 किलोमीटर के तालाब में यह दिख नहीं रही है. ऊपर से जो गाद आ रही है वह इस तालाब के नीचे समाती जा रही है इसलिए यह सतह पर दिखाई नहीं दे रही है.
हमारा मानना है कि इसी जमा होती गाद के कारण नदी के पते का स्तर लगातार बढ़ रहा है और गंगा की पानी को समुद्र तक ले जाने की क्षमता घाट रही है हालाँकि डॉ सिन्हा यह नहीं कहते हैं. फरक्का बराज गंगा के वेग को कम कर देता है और गंगा का समुद्र में गाद ले जाना कठिन बना देता है.
जमा गाद| बाढ़ में वृद्धि| नदी तल की गहराई| सागर| नदी की सफाई| गाद जमा होना|
इसका उपाय क्या है? दुसरे जानकारों का अगर हम बाढ़ को आने दें तथा फरक्का को हटा दें तो पानी का बढेगा और बाढ़ समुद्र तक गाद को बहा देगी. बाढ़ गंगा के पेटे को साफ कर देगी और कुछ वर्षों के लिए बाढ़ कम हो जायेगी.
डॉ सिन्हा इस दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि बाढ़ अपने साथ गाद लाती है जिससे अधिक गाद जमा हो जाएगी और बाद के वर्षों में वहाँ बाढ़ में और वृद्धि होगी. हमें लगता है कि जानकारों के विचार सही होने की अधिक संभावना है. कारण यह है कि यदि बाढ़ केवल गाद को ला रही होती, तो हजारों वर्षों से आ रही बाढ़ से यह पूरा क्षेत्र गाद से भरा होना चाहिए था. सच यह है कि नदी ने अपने लिए रास्ता बनाया है जिसमे गाद पूरी तरह से नहीं भरी है. इसी चैनल के माध्यम से नदी हजारों वर्षों से आ रही बाढ़ की गाद को समुद्र तक पहुंचा रही है.
हमारा मानना है कि बाढ़ की सही स्तिथि यह है कि छोटी बाढ़ गाद लाती है और उसे जमा कर देती है. बड़ी बाढ़ उसी गाद को समुद्र में बहा ले जाती है.
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हमारा मानना है कि यदि हम फरक्का को हटा दें और बाढ़ को आने दें तो हम बड़ी बाढ़ के दौरान नदी की गाद को बहाने की क्षमता को बढ़ा देंगे. हालांकि, अगर हम साथ साथ फरक्का द्वारा गंगा के प्रवाह को बाधित करे रहते हैं, तो बाढ़ के दौरान गंगा अधिक गाद लाएगी नदी गाद को समुद्र में प्रवाहित करने के लिए जरूरी वेग नहीं होगा. इस स्थिति में और अधिक गाद जमा हो जायेगी जिससे और बाढ़ का खतरा बना रहेगा — जैसा कि डॉ राजीव सिन्हा कहते हैं.
हमें दो काम करने चाहिए. एक, हमें बाढ़ को आने देना चाहिए ताकि गाद को बहाया जा सके. हमें टिहरी बांध में गाद नहीं रोकनी चाहिए. सिंचाई के लिए नदी के पानी का प्रयोग कम करना चाहिए. दूसरा, हमें फरक्का बैराज की नयी डिजाइन करने की जरूरत है ताकि नदी का वेग बाधित न हो. जब तक हम ये दोनों कार्य नहीं करेंगे तबतक पटना और फरक्का के बीच जमा हो रही गाद की समस्या हल नहीं होगी और बाढ़ का कहर जारी रहेगा.