क्या उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय हमारी नदियों को बचा सकते हैं?

बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने देश की सभी नदियों को जीवित इकाई का दर्जा दिया है. इससे पहले उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी गंगा नदी को यही दर्जा दिया था. ये निर्णय न्यूज़ीलैण्ड के अधिनियम का पालन करते हैं जिसमे व्हेनगानुई नदी को जीवित नदी का दर्जा मिला है. हालांकि न्यूज़ीलैण्ड का दृष्टिकोण बांग्लादेश और भारत के दृष्टिकोण के बीच में बुनियादी अंतर है. न्यूज़ीलैण्ड ने स्थानीय माओरी जनजाति और सरकार को नदी का संरक्षक बनाया है जबकि बांग्लादेश और भारत ने केवल सरकारी संगठनों को ही नद्दी का संरक्षक बनाया है. इसलिए न्यूज़ीलैण्ड का दृष्टिकोण लोगों को नदी के प्रबंधन का अधिकार देता है. बांग्लादेश और भारतीय दृष्टिकोण उसी सरकार को यह जिम्मेदारी देते हैं जो उनको नष्ट करने के लिए जिम्मेदार हैं. इसलिए ये निर्णय बनावटी अधिक और असरदार कम है.

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