क्या फरक्का के कारण बढ़ रही है भूजल में आर्सेनिक की मात्रा?

अकबरबंगालनदियाँकृषिबैराजतटबंधमालदा फरक्का बैराजबाढ़|

यह पोस्ट पश्चिम बंगाल के नदी बचाओ जीवन बचाओ आंदोलन के श्री तापस दास के साथ चर्चा के आधार पर बनाई गई है.

तापस दास

अकबर के समय अबुल फजल ने बंगाल का दौरा किया था. उसे वहां हर जगह पानी मिला था. वह पूरा क्षेत्र नदियों, बारिश और कृषि से समृद्ध था. लेकिन आज स्थिति पूर्णतया बदल गई है. हमने बैराज और तटबंधों के निर्माण में 1,34,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. लेकिन इसका नतीजा यह है कि आज मालदा जिले का लगभग हिस्सा जो फरक्का बैराज के ऊपर और नीचे दोनों तरफ फैला हुआ है उस पर लगातार बाढ़ और मिटटी के कटाव का खतरा बना रहता है.

फरक्का
मालदा जिले में फरक्का बराज के कारन हो रहा कटाव

मिहिर शाह सिंचाई भूमिगत जल बाढ़ मिट्टी का कटाव जहरीला आर्सेनिक भूजल का पुनर्भरण |

मिहिर शाह की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 86% सिंचाई अभी भी भूमिगत जल द्वारा की जाती है. भूमि से भारी मात्रा में पानी निकाला जा रहा है जिसके कारण जहरीला आर्सेनिक उपरी सतह पर तक पहुँच रहा है. यदि पृथ्वी के निचले हिस्से में आर्सेनिक मौजूद है तथा आप उपरी हिस्से से मीठे पानी से भूजल को निकलते हैं, तो भूमि में मौजूद आर्सेनिक ऊपर आ जाता है और पीने के पानी को जहरीला बना देता है.

पानी ऊपर से निकलने से आर्सेनिक ऊपर आ जाता है.
पानी का पुनर्भरण करने से आर्सेनिक नीचे चला जाता है.

ताजा पानी नहर नहर आधारित सिंचाई भूजल पर निर्भर करता है फरक्का स्थान गंगा पदमा नदी झालंगी नदी हुगली नदी |

पहले जब न तो फरक्का था और न ही आर्सेनिक की समस्या थी तब गंगा पद्मा से होकर बांग्लादेश में बहती थी. पद्मा से बड़ी संख्या में छोटी नदियाँ निकलती थीं जैसे झालंगी, जो पद्मा से हुगली नदी तक पानी ला रही थीं. ये नदियाँ भूजल का पुनर्भरण का कार्य कर रही थीं. इससे आर्सेनिक का स्तर लगातार नीचे रहता था.

पद्मा से झालंगी हुगली नदी तक पानी ला रही थीं.

ब्रिटिश कालहुगली नदीछोटी नदियाँफीडर नहरफरक्का बैराजझालंगीभूमि कटावसिंचाई के लिए नदियाँआर्सेनिक जहरभूजल निकालना|

ब्रिटिश समय के दौरान बड़े जहाज ने हुगली से झालंगी के माध्यम से गंगा में प्रवेश करते थे. झलंगी छोटी नदी नहीं थी. फरक्का बनाकर और फीडर कैनाल के माध्यम से हुगली तक पानी ले जाकर हमने इसे एवं ऐसी ही अन्य नदियों को सुखा दिया है. इससे पानी का पुनर्भरण नहीं हो रहा है और आर्सेनिक की समस्या पैदा हो गयी है. फरक्का की वजह से बाढ़ और आर्सेनिक की समस्या पैदा हुई है. इसलिए, हमें फीडर नहर के माध्यम से हुगली को पुनर्जीवित करने की कोशिश के बजाय, पद्मा के पानी को हुगली में ले जाने के लिए झालंगी जैसी नदियों का उपयोग करने के बारे में सोचना चाहिए. यह हमें हर जगह हो रही बाढ़ और भूमि कटाव की समस्या से बचाएगा.

हर क्षेत्र के लिए पानी|नदियाँ को पुनर्जीवितपारंपरिक सिंचाई के तरीकेआर्सेनिक का बढ़ता स्तरभूजल का कम उपयोग|

2015, में यह नारा दिया गया था कि हर खेत के लिए पानी होगा लेकिन इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है.

भूमिगत जल से सिंचाई से आर्सेनिक की समस्या पैदा हुई है.

इसलिए, हमें अपनी नदियों को पुनर्जीवित करने और सिंचाई के पारंपरिक तरीकों को पुनर्जीवित करने के बारे में सोचना चाहिए.  हमें नदी के पानी द्वारा होने वाली सिंचाई को विकसित करने की कोशिश में अपनी ऊर्जा व्यर्थ नहीं गवानी चाहिए.